Thursday, 22 September 2011
tank road market pics
अशोक विहार माकेट
अशोक विहार एक पाश रिहायशी इलाका है जिसकी जान है अशोक विहार दीप चंद बंध्ु सैन्ट्रल माकेट। सैन्ट्रल माकेट के नाम से प्रसि( यह माकेट हर वगZ, उम्र और हर प्रकार की डिमांड पूरी करती है इस माकेट मंे हर टाइप की छोटी-बड़ी दुकाने है जो एक आम आदमी की सभी जरूरतों को पूरा करती हैं। तकरीबन 5 दशक पहले बनी यह माकेZट इस एरिया की सबसे बड़ी मा£कट है जो डीडीए ने अशोक विहार बसाने के साथ बनाइZ थी ताकि यहां के निवासियों को एक सब सिटी की सारी सुविधएं उपलब्ध् हो सकें। इस माकेट को अगर अशोक विहार का दिल का कहा जाएं तो कोइZ अतिशयोक्ती नहीं होगी। शुरूआती दौर में मात्रा 8 से 10 दुकाने से शुरू हुइZ इस माकेZट मंे आज 350 से ज्यादा दुकाने और आWपिफस हैं। माकेZट की पुरानी दुकानों में से एक लक्ष्मी स्वीट्स जो अब बंद होकर लक्ष्मी प्रोपटीZज हो गइZ उसके ओनर सुनील गुप्ता बताते हैं कि माकेेट के शुरूआत मंे यहां मिठाइZ और कपडे+ की दुकानें थीं परंतु आज इस माकेZट में हर तरह की दुकाने हैं। जो यहां के निवासियों की हर जरूरत को पूरा करती है।
इस माकेZट मंे तकरीबन 38 बिल्डिंग हैं। जहां बेस्मेंट, ग्रांउड ओर फ्रलोर बने हैं। बेस्मेंट और ग्राउंड पर रिटेल दुकानें है और ऊपरी मंजिलों पर आWपिफस और इंस्टीट्यूट है। माकेZट मंे तकरीबन 8 सरकारी बैंक भी है। यहां रोजाना एक हजार तक का पूफटपफाWल रहता है जो पफेस्टिवल सीज+न मंे 2 हज+ार तक पहुंच जाता है। शनिवार व रविवार को यहां बहुत अध्कि भीड़ रहती है। छोटी छोटी दुकाने होने के बावजूद यह माकेZट एक अलग पहचान बनाए हुए हैं यह माकेZट उस जमाने की याद दिलाता है जब पफैशनेबल माकेZट और माWल कल्चर दिल्ली में नहीं था। सूट, साड़ी और वेस्टन कपड़ों की यहां अच्छी वैराइटी उपलब्ध् है, टेªंडी बैग्स और एक्सेसरीज की यह कापफी रिच माकेZट है यहां पर बागZेनिंग भी खूब होती है। आप खरीदारी के अलावा यहां खाने का भी लुत्पफ उठा सकते हैं। यहां आप इंडियन पूफड से लेकर चाइनीज तक का आनंद ले सकते हैं। माकेZट में जाने का एक मेन गेट है और 5 अन्य मुख्य द्वार हैं। माकेZट मंे 6-7 छोटे-बडे+ पाकZ है जिसकी हरियाली आपकी आंखों को ठंडक पहुंचाती है।
वैसे तो पूरे अशोक विहार के विभिन्न पफेज और ब्लाWक मंे छोटी-छोटी तकरीबन 16 माकेZट हैं लेकिन इसके बावजूद सैन्ट्रल माकेZट ने आज भी अपना अस्तित्व कायम रखा है। माकेZट मंे दो प्ले स्कूल भी हैं इसके अलावा यहां अंडर ग्राऊंड पा¯कग बनाने की भी योजना है। वैसे हम आप को बता दे कि यह माकेZट सोमवार को बंद रहती है।
इतिहास
पहले माकेZट का नाम सैन्ट्रल माकेZट था परंतु पूवZ मंत्राी दीप चंद बंध्ु के स्वगZवास के बाद माकेZट का नाम बदल कर दीप चंद बंध्ु जी माकेZट कर दिया गया। रतना मेडिकोज के अशोक जैन बताते हैं कि दीप चंद जी को माकेZट और दुकानदारों से बेहद लगाव था जिसके चलते वो हर अच्छे बुरे दिनों में हमेशा माकेZट वालों के साथ खडे+ नज+र आते थे। इस माकेZZट के विकास में उनका विशेष योगदान रहा है। इसलिए उनके स्वगZवास के बाद माकेZट का नाम बदल कर उनके नाम पर कर दिया गया। अब यह माकेZट दीप माकेZट के नाम से प्रसि( है।
यंगिस्तान
दीप माकेZट के पास डीयू के दो काWलेज हैं सत्यवती काWलेज ;मो£नंग और इZवनिंगद्ध और लक्ष्मीबाइZ काWलेज। जिसके चलते काWलेज के छात्रा यहां शांपिग करने आते हैं। कोचिंग व कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट होने के कारण भी यहां छात्राों का जमावड़ा हमेशा दिखाइZ देता है।
अगर हम ये कहें कि सैन्ट्रल माकेZट इस इलाके की जान व शान है। तो इसमें कोइZ हैरानी की बात नहीं होगी।
पा²कग
आपको यहां गाड़ी आते ही उसे लगवाने के लिए लोग आते हुए नज+र आएंगे और आप की गाड़ी लगवाएगें लेकिन ना तो पा²कग पचीZ काटेंगे और ना ही आप से पैसे लेंगे। यहां की पा²कग बिल्कुल Úी है इसलिए अपनी गाड़ी को पाकZ करने के लिए आप को किसी भी प्रकार का कोइZ चाजZ नहीं देना होगा। पर बेशक पा²कग से गाड़ी निकालने के बाद यहां वही लोग आप को सलाम भी ठोंकेगे।
बडे+ ब्रैंडस नहीं पर सब कुछ है यूनिक
माकेZट में यदि आप बडे+ ब्रैंडस की चाहत लेकर आएं तो शायद आप को निराशा हो सकती है लेकिन यदि आप कुछ हटकर कपडे+ चाहते हैं तो यहां आपको अच्छी क्वालिटी,यूनिक और पफैशनेबल डिजाइन के कपडे+ मिल जाएंगे। इस माकेZट मंे बडे+ ब्रैंडस के कम्पनी शोरूम तो नहीं है लेकिन यहां के कुछ दुकानदार ग्राहकों की डिमांड पर बै्रडिंड कपडे+ रखते हैं।
लाजवाब पूफड
पूरी तरह से एक परपफेक्ट माकेZट होने की वजह से यहां खाने-पीने की लाजवाब जगह है। अच्छे रेस्टोरेेंट से लेकर चाट पकौड़ी के स्टाWल और पफाWस्ट पूफड बैन भी यहां है। कस्टूमजZ यहां एक बार पूफड एन्जाWय कर लें तो यहां बार-बार आते हैं। वैज+ पूफड के लिए बंगाली स्वीट्स, छाबड़ा स्वीट्स और होटल मोहन कापफी मशहूर है। केक और पेस्ट्रीज के दीवानों के लिए यहां एक परपफेक्ट दुकान है। मास्टर बेकरी मंे बिना केक का आनंद लिए शा²पग पूरी नहीं मानी जा सकती। हर 25 दिसम्बर को मास्टर बेक्सZ आम जनता को केक बनाना सिखाती है ओर पिफर वही केक लोगों में Úी डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। बंसल काWनZर से आप गोल गप्पों का स्वाद ले सकते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था
माकेZट सुरक्षा की दृष्टि से कापफी हद तक सुरक्षति कही जा सकती है। माकेZट में मुख्य द्वार पर ही पुलिस बूथ बना हुआ है जहां पी सी आर खड़ी रहती है इसके अलावा माकेZट एसोसिएशन की खुद की भी निजी सुरक्षा व्यवस्था है। माकेZट के चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं। परन्तु मा£कट की बांडरी को और अध्कि सुरक्षति किये जाने की जरूरत है।
सांस्कृतिक कायZक्रम
माकेZट मंे ग्राहकों को आक£षत करने और मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कायZक्रमों का आयोजन होता रहता है। शहीदी दिवस पर यहां भंडारा किया जाता है होली मिलन पर कवि सम्मेलन आदि प्रोग्राम किए जाते हैं। दीवाली और न्यू इZयर पर तो माकेZट दुल्हन ही तरह सजती है।
स्पेशल आWपफर
ग्राहकों के लिए दुकानदार स्पेशल आWपफर निकालते हैं लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए समय-समय पर माकेZट पर ध्यान रखना पडे+गा।
क्रेज है बरकरार
माकेZट का क्रेज आज भी लोगों में बरकरार है अशोक विहार के इलावा भी यहां कापफी अन्य जगह से लोग शा²पंग के लिए आते हैं। शक्ति नगर, माWडल टाऊन, ित्रा नगर, पीतमपुरा, रोहिणी, गुजरावाला टाउन, आदि जगह से भी लोग यहां आते हैं और इसके अलावा भी वो लोग भी यहां आते हैं जो अशोक विहार छोड़कर कहीं ओर बस गए हैं। पीतमपुरा से आइZ सरला गुप्ता कहती है अशोक विहार छोडे+ हुए तकरीबन 5 साल हो गए हैं लेकिन पिफर भी हम यही शापिंग के लिए आते हैं। अगर यहां आकर शापिंग नहीं करते तो दिल को तसल्ली नहीं मिलती।
बनता एजुकेशन हब
माकेZट अब एजुकेशन हब की तरह डेवलप्ड हो रही है माकेZट में कम्प्यूटर और कोचिंग सैन्ट्ररों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वतZमान में यहां तकरीबन 20 इंस्टीट्यूट है। एजुकेशनल एंस्टीट्यूट होने के कारण यहां स्टूडेंटस की चहल कदमी हमेशा बनी रहती है।
रिचेबल
माकेZट तक पहुंचना बेहद आसानहै। यहां बस स£वस अच्छी है और बस स्टाWप माकेZट के बाहर ही है। इसके अलावा मैट्रो यहां से नज+दीक है माकेZट से मैट्रो तक रिक्शा 20 से 25 रूपये लेता है इसके अलावा माकेZट के बाहर टैक्सी स्टैण्ड भी हैं जो माकेZट के बदलते समय का साक्षी है।
दीप सिनेमा का अभाव
माकेZट मंे दीप सिनेमा की कमी सापफ दिखाइZ देती है। सिख दंगों की भेंट चढ़ गया इस सिनेमा हाWल को दोबारा शुरू करने की मांग है। यहां के दुकानदारों का मानना है कि दीप सिनेमा माकेZट की जान थी ओर यहाँ के निवासियों को इससे बेहद लगाव था इसलिए भावनाओं को देखते हुए इसे दुबारा शुरू कर देना चाहिए।
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